(दोस्तो ये है मेरी FACEBOOK की कहानी और आपकी ?)
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जब तन्हाई के आलम में ,मैं यूँ ही बैठा होता हूँ ,
तब अक्सर मैं Facebook पे , Online हो जाता हूँ ।
जब Online फ्रेंड्स को देखुं ,सोंचुं किस से शुरुआत करू,
तब दुविधा में पड़ जाता हूँ ,पहले किस से मैं बात करू।
जब बाते होती है भरपुर ,
जो मुझ से रहते हैं दुर।
मैं ख़ुशी से पागल सा हो जाता हूँ ,
तब अपने सारे काम भूल जाता हूँ।
कभी किसी के इंतजार में ,घंटो वक्त बिताता हूँ ,
उनके ONLINE न आने पे,परेशान हो जाता हूँ ।
फिर मैं सोचु क्या करना था मुझको UPDATE ,
कर लिया जितना करना था मुझको WAIT.
तब LIKE और COMMENT का दौर शुरू हो जाता है ,
मेरे NOTIFICATION का तो अम्बार सा लग जाता है।
कुछ COMMENT मजेदार तो कुछ बकवास बन जाते हैं,
LAPPY पे अंगुलिया थिरकाते वक्त गुजरा जाता है।
जब CHAT कर के मैं काफी थक जाता हूँ,
तब बिना LOGOUT हुए मैं अक्सर सो जाता हूँ
************* जय प्रकाश राज *************
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जब तन्हाई के आलम में ,मैं यूँ ही बैठा होता हूँ ,
तब अक्सर मैं Facebook पे , Online हो जाता हूँ ।
जब Online फ्रेंड्स को देखुं ,सोंचुं किस से शुरुआत करू,
तब दुविधा में पड़ जाता हूँ ,पहले किस से मैं बात करू।
जब बाते होती है भरपुर ,
जो मुझ से रहते हैं दुर।
मैं ख़ुशी से पागल सा हो जाता हूँ ,
तब अपने सारे काम भूल जाता हूँ।
कभी किसी के इंतजार में ,घंटो वक्त बिताता हूँ ,
उनके ONLINE न आने पे,परेशान हो जाता हूँ ।
फिर मैं सोचु क्या करना था मुझको UPDATE ,
कर लिया जितना करना था मुझको WAIT.
तब LIKE और COMMENT का दौर शुरू हो जाता है ,
मेरे NOTIFICATION का तो अम्बार सा लग जाता है।
कुछ COMMENT मजेदार तो कुछ बकवास बन जाते हैं,
LAPPY पे अंगुलिया थिरकाते वक्त गुजरा जाता है।
जब CHAT कर के मैं काफी थक जाता हूँ,
तब बिना LOGOUT हुए मैं अक्सर सो जाता हूँ
************* जय प्रकाश राज *************
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