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कभी तेरा साथ था ,अब तेरी यादों की सौगात है ।
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वो क्या अजीब एक्ताफाक था, सुनता तो था दिल की,
पर मैं , कर न पाता दिल की बात था।आज तस्वीर नहीं है तेरी ,
फिर भी तेरा चेहरा दिखाई पड़ता है।
मैं , भूल चूका सब बातो को ,
फिर भी तेरी हर बात सुनाई पड़ती है।
पता ही न था ,कब तेरी आदत हो गई ,
रूबरू हो पाया जब,अपनी दूरी हो गई।
आज जकड़े हुए है ,मेरे कदम ,
तेरी बातों की जंजीरों में।
जो थम न पाते थे कभी ,
तेरी तरफ बढ पाने से।
होगा आसान तेरे लिए ये बोलना ,
"जो दिल में आया बोल दिया।"
पर तुझको क्या पता ,
ये तकलिफ़ मुझे कितना दिये।
ख़ुदा करे ये सिलसिला यु ही रहे ,
ये सिलसिला यु ही रहे ,
तु मग्न हो अपनी दुनिया में ,
पर तेरी हर बात मुझे भेदती रहे।
चुभती रहे मुझे काँटों सी ,
पर फिक्र ना तुझे कुछ भी रहे।
तु अपनी हर मंजिल को पा लेना ,
मेरी बस यही दूआ रहे।
तु मग्न हो अपनी दुनिया में .
पर तेरी हर बात मुझे भेदती रहे।
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Jay Prakash Gupta
waah
ReplyDeletedhanywad ...............bhai par apna nam to likhna tha na
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