थी मुझको लिखने की आदत ,पर तेरी यादों से ये बढ़ गई।मैं तो रहता हूँ तेरी यादों में,अब लेखनी को भी आदत पड़ गई।
Friday 25 January 2013
Monday 14 January 2013
Path Me
ओ रे पथिक ! तू पथ में,
चल थोड़ा सम्हल-सम्हल ।
मृगतृष्णा को देख कहीं ,
न जाना रे तू भटक ।
राहों में तो हर तरफ,मैं-ही-मैं की,
लम्बी फैली अन्धियारा है ।
कूट कर भरा इंसानों में,
इर्ष्या और छलावा है ।
बैरी भी अब घात लगाए ,
मित्र बन राहों में चलता साथ है।
चल थोड़ा सम्हल-सम्हल,
तू ,थोड़ा ठिठक-ठिठक ।
लिप्सा में लोलुप है सब ,
दिल में बदले की संचार है ।
मन इंसानों का बना ,अब ,
रक्त-रंजित तलवार है ।
ओ रे पथिक चल थोडा सम्हल-सम्हल, मृगतृष्णा को देख कहीं भूल न जा तू राहे-गुजर ।
--जय प्रकाश राज
MERI KAVYAALAY by JAY PRAKASH RAJ is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivs 2.5 India License.
Based on a work at http://bnjraj08.blogspot.in/.
Permissions beyond the scope of this license may be available at https://www.facebook.com/bnjraj08
मृगतृष्णा को देख कहीं ,
न जाना रे तू भटक ।
राहों में तो हर तरफ,मैं-ही-मैं की,
लम्बी फैली अन्धियारा है ।
कूट कर भरा इंसानों में,
इर्ष्या और छलावा है ।
बैरी भी अब घात लगाए ,
मित्र बन राहों में चलता साथ है।
चल थोड़ा सम्हल-सम्हल,
तू ,थोड़ा ठिठक-ठिठक ।
लिप्सा में लोलुप है सब ,
दिल में बदले की संचार है ।
मन इंसानों का बना ,अब ,
रक्त-रंजित तलवार है ।
ओ रे पथिक चल थोडा सम्हल-सम्हल, मृगतृष्णा को देख कहीं भूल न जा तू राहे-गुजर ।
--जय प्रकाश राज
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Tuesday 8 January 2013
Tera Khyal Hua
जब एकाकीपन में बैठे-बैठे ,
अनायास ही तेरा ख्याल हुआ ।
तब तुझको खोने का ,
मुझे बड़ा मलाल हुआ ।
भेद गई भीतर तक मुझको ,
जब याद वो तेरा सवाल हुआ ।
जय,तू करता है न मुझे पसन्द ?
और सुन के मेरी हर इक बात ।
शायद बहके थे तेरे जज्बात,जो तुने था कहा!
क्यू कहने में की देर बता ?
हाँ! तब तुझको खोने का ,मुझे बड़ा मलाल हुआ ।
फिर तेरा वो समझाना ,
वो प्यार पे भाषण सुनना ।
तब मेरे आँखों का नम हो जाना,
और लबों पे थोड़ी हंसी का आना ।
फिर चुपके से दिल का ये कह जाना,
की देख आज उसे भी तेरा ख्याल हुआ।
तब तुझको खोने का ,मुझे बड़ा मलाल हुआ .......
जय प्रकाश राज ------------
अनायास ही तेरा ख्याल हुआ ।
तब तुझको खोने का ,
मुझे बड़ा मलाल हुआ ।
भेद गई भीतर तक मुझको ,
जब याद वो तेरा सवाल हुआ ।
जय,तू करता है न मुझे पसन्द ?
और सुन के मेरी हर इक बात ।
शायद बहके थे तेरे जज्बात,जो तुने था कहा!
क्यू कहने में की देर बता ?
हाँ! तब तुझको खोने का ,मुझे बड़ा मलाल हुआ ।
फिर तेरा वो समझाना ,
वो प्यार पे भाषण सुनना ।
तब मेरे आँखों का नम हो जाना,
और लबों पे थोड़ी हंसी का आना ।
फिर चुपके से दिल का ये कह जाना,
की देख आज उसे भी तेरा ख्याल हुआ।
तब तुझको खोने का ,मुझे बड़ा मलाल हुआ .......
जय प्रकाश राज ------------
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